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गुरु की दीक्षा से ही साथी परम लक्ष्य मिल पाता




आज दिनांक ५.५.२३ को प्रदू स्वच्छंद विषय के अन्तर्गत मेरी प्रस्तुति,:
गुरु की दीक्षा से ही साथी परम  लक्ष्य मिल पाता :
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लक्ष्य निर्धारित हो जीवन मे ,मार्ग सुगम हो जाता,
गुरू की दीक्षा से ही साथी परम लक्ष्य मिल पाता। ।

क्यों हम इधर-उधर हो भटकें लक्ष्य निर्धारित कर लें,
मंज़िल एक हो निश्चित अपनी सुगमता से उसको पालें ।

जैंसे अर्जुन ने निश्चय कर शर-संधान किया था,
जैंसे तुलसी ने निश्चय कर रामायण ग्रन्थ लिखा था,

वैंसे‌ ही पथ निश्चित कर लो और बढ़ चलो पथ पर ,
निश्चय द्रढ़ हो तो बाधाएं  टिक न सकेंगी पथ पर।

द्रढ़ हो इच्छा-शक्ति तो सब अभियान होते हैं पूरे,
अनायास मिलती है मंज़िल रहें न काम अधूरे ।

गुरू ही सदा दिखाते सत्पथ,पंथ न भटकने देते,
इतनी बड़ी ज़हां में गुरु ही तमस मे प्रकाश बन आते।

एक कवि ने तो गुरू जी को प्रभु के समकक्ष बताया है,
गुरू ही प्रभु का द्वार बताते सब को यह समझाया है।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़



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6 Comments

पा लें होगा न कि पालें

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बहुत सुन्दर सृजन

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Punam verma

06-May-2023 08:48 AM

Very nice

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